तो दिन बन जाये
तो दिन बन जाये
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तुम हसं कर, कर लो बात
तो दिन बन जाये
यादों में डुबा रहता हूँ
तन्हा तन्हा फिरता हूँ
दिन का पता नहीं चलता
रातों में खोया खोया रहता हूँ
थकावट की इस जिंदगी में
तुमसे यही चाहता हूँ
तुम हंसकर बात कर लो
तो दिन बन जाये
कभी गिरकर उठ जाता हूँ
कभी कहीं संभल न पाता हूँ
कभी लफ़्ज़ों को बेवजह गुणगुणाता हूँ
इस गुणगुणाने की वजह तुम बनो
तो बात बन जाये
तुम हंस कर बात कर लो
तो दिन बन जाये !!