Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

माँ

माँ

1 min
20.2K


माँ

ईश्वर न था , मन्दिर न थे ,

जब

नभ में तारागण ,

फूल उपवन में ,

ये हवा ,

ये सागर अथाह

न थे ,

माँ

तू ,तब भी थी

 

माँ

यानि सुबह मेरी

गर्म नाश्ता

लंच का डिब्बा

गुज़र जाता दिन

बाट जोहती

शाम जैसी

माँ  , मेरी

 

माँ  ,

मंदिर का चमकता कलश

तुलसी का चौरा

आरती में बजती

लयबध्द ताली

भज़नों में गुनगुनाती

संतों की वाणी

 

सपने हमारे लिऐ

स्वप्न अपने छुपाती

घुटनों पर झुकी

प्रार्थना में बुदबुदाती

तपते रेगिस्तान में

बहता ठंडा पानी

माँ 

ममता का अथांग सागर धरे

‘’करुणा’’ ये माँ

 

बिन बोले , सब समझे

‘’भावना’’ ये माँ

 

स्व का होम करती

‘’समिधा’’ ये माँ

 

अवसाद के पलों में

‘प्रेरणा’ ये माँ

 

बच्चों को सुलाती

‘थपकी’ ये माँ

 

लिखते जाऐं  ,कभी ना रीते

काग़ज़ पर

‘स्याही’ ये माँ

 

माँ

तेरी आख़िरी साँस

और

मेरे अंतस में

असंख्य धागे टूटे थे

मैं और आँसू

दोनों स्तब्ध

शब्द और शक्ति

दोनों बेबस

 

तेरा बड़प्पन , ना बख़ानी

माँ  मेरी ,

तू प्यारी

माँ

 

--------रविकांत राऊत

 

 

 

 


Rate this content
Log in