इक हसीना
इक हसीना
इश्क़ हमसे निभाने वाली लड़की
बातों-बातों में रूठ जाने वाली लड़की।
स्वभाव से यूँ तो कड़क हैं मगर
मेरे छूने पर शर्माने वाली लड़की।
अकेलेपन में तो आँसू बहाती है
पर मुझे देख मुस्कराने वाली लड़की।
चूमती रहती हैं मुझे गालों पर
मैं जो चुमूँ तो घबराने वाली लड़की।
यू तो कुछ बताती नहीं मुझे मगर
रोते-रोते मुझसे लिपट जाने वाली लड़की।
मदहोश रहता हूँ उसके आने पर
आँखों से मुझे पिलाने वाली लड़की।
तकरार हो जाती हैं मेरी भी उससे
पर गुस्सा कर मुझे मनाने वाली लड़की।
ना मानूँ अगर कभी मैं उसकी तो
खुद की कसम दिलाने वाली लड़की।
अगर कह दे मुझको आवारा कोई तो
मुझे पर हक जताने वाली लड़की।
यू तो सब पराए हैं यहाँ मुझसे पर
'पंवार' को अपना बताने वाली लड़की।।