मैं चली आऊँगी
मैं चली आऊँगी
राह फूलों भरी हो,
या कांटों भरी।
तुझसे मिलने को,
मैंं चली आऊँगी।।
तुम पुकारो नहीं,
तो भी मेरे सनम।
दिल हथेली पर,
ले के चली आऊँगी।।
दिल तड़पता है और,
है बेचैन रूह।
मैं प्रेम दीपक जलाये,
चली आऊँगी।।
माना नैैनो में,
तेरी ही तस्वीर है।
पर एक नजर,
देखने को चली आऊँगी।।
किया येे श्रृंगार,
मैंने तुम्हारे लिए।
तुमको रिझाने,
मैं तो चली आऊँगी।।
मेरे होंंठों पे बस,
इक तेेरा नाम है।
अपना नाम तुमसे,
जोड़ने चली आऊँगी।।