सरहद
सरहद
माँ की गोद छोड़
माँ के लिये ही वो लड़ते हैं,
हर पल हर लम्हां
वो चिरागों से कहीं जलते हैं,
भेजकर पैगाम वो हवाओं के ज़रिये
सपनों में अपनी माँ से मिलते हैं,
हो हाल गम्भीर जब कभी कहीं वो,
चुप रहकर ही खामोशी से
सरहद के हर पल को बयाँ करते हैं,
लड़कर तिरंगे की शान की खातिर,
वो तिरंगे में ही लिपट कर अपना जिस्म छोड़ते हैं,
जो होते हैं बलिदान सरहद पर,
वो सैनिक कहलाते हैं।।