उलझन
उलझन
हाँ मुझे मालूम है तुम गुस्सा हो
क्योंकि तुम्हे कभी नहीं कहता
मुझे कितनी मोहब्बत है
मगर यूँ ही बहाने से
कई बार चुम लेता हूँ तुम्हें
सच कहूं तो तुम उलझी हुई हो
और मैं भी उलझा हुआ हूँ
मेरा अतीत मुझे खींच लेता है
सुनो कुछ बुरी यादो की वजह से
मैं नहीं बिगाड़ना चाहता
तुम्हारी ज़िन्दगी
हम जब तलक साथ है
खुश रहो
और मोहब्बत को महसूस करो
जरुरी नहीं
कि हर रिश्ते को
कोई नाम दिया जाये
नाम होगा तो उम्मीदें होगी
उम्मीदे होगी तो मज़बूरियां होगी
मज़बूरियां होगी तो बहाने होंगे
तुमने सुना नहीं कभी क्या?
वो पुराना गाना
"दोस्तों अपना तो ये ईमान है
जो भी जितना साथ दे एहसान है"
बस इस पल को जियो...
इन वफाओं में वादों में
आखिर धरा क्या है?
और हमारे पास भी
वक्त के नाम पर बचा क्या है?