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Apperna S

Fantasy

4.8  

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अगर मैं....... होती

अगर मैं....... होती

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अगर मैं फूल होती मधुवन की,

तो केशव की मुरली रोज़ सुनती।

चुन लेती मुझे राधा रानी,

मैं बन जाती हार गिरिधर की।

होती अगर मैं पेड़ कदली की,

तो मद- मस्त पवन मुझे छू लेती,

खुशबू माधव के प्यार की देती।

गोपिका मैं कृष्ण की अगर होती,

तो रोज़ मैं उसके साथ रास रचाती।

होती अगर मैं धारा यमुना की,

तो कन्हैया के पद-धूली से धन्य हो जाती।

अगर मैं चिड़िया होती वृन्दावन की,

तो रोज़ देखती गिरिधर की छवि न्यारी।

होती अगर मैं ग‌ऊ नन्दलाल की,

तो रोज़ मैं सुनती कान्हा की बोली प्यारी।

पत्ती होती अगर मैं वृन्दावन की,

मैं सदा देखती शरारत वासुदेव की।

माखन होती अगर मैं मथुरा की,

तो वह सौभाग्य मुझे मिल जाती,

के मैं भोज हूं देवकी नन्दन की।

पवन होती अगर मैं मधुपुर की,

तो, माखन चोर के लाखों से खेलती,

उस नटखट किशन के कपोलों को छू लेती।

मिट्टी होती अगर मैं नन्द गांव की,

तो नटवर के पद-चिन्ह मुझपर पड़ती।

धन्य है ये चीज़ सारी की सारी,

चूंकि, इन्हें यह सौभाग्य मिली

जो दुर्लभ है मिलना ऋियों को भी।



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