लालच
लालच
ये जीवन हैं, एक मोह-माया
आदमी इच्छा करे, बस माया
जीवन भर भागे पीछे माया के
फिर भी ना पूरी हो लालसा माया की
ये मन हैं, लालच से भरा
माया के पीछे इंसान भागता
बस दिखती उसको माया
ना दिखता सामने का गड्ढा
माया के पीछे भागता इंसान पल पल
गिरता गड्ढे में हर पल
सुनो मेरे भाई
ना करो लालच
फैलाओ पैर उतने, जितनी हैं, चादर
थोड़ा खाओ, रहो सुखी
रह जानी धन दौलत, यही सभी
आये खाली हाथ
जाना खाली हाथ
फिर क्यों लालच करें
तू नादान इंसान