छोटी सी लड़की
छोटी सी लड़की
एक छोटी सी लड़की थी
आँगन में खेला करती थी।
बड़ी नाज़ुक सी दिखती थी
मगर फूलों सी खिलती थी।
सपनों को वो तितली समझ
उनके पीछे भागा करती थी।
थक जाती थी तो छुप जाती थी
फिर चुपके से पीछा करती थी।
इधर-उधर घूम-घूम कर भी
वो सारा दिन ना थकती थी।
वो छोटी जो लड़की थी
वो अब खेला नहीं करती।
गुमसुम सी है दिखती थोड़ी
सपने शायद वो अब देखा नहीं करती।
वो तितली भी गुम है कब से
रंग अपने बिखेरा नहीं करती।
सुना है बड़ी हुई वो लड़की
दिल की अपने अब वो सुना नहीं करती।।