यूँ चुप न रहो कुछ तो कहो .
यूँ चुप न रहो कुछ तो कहो .
यूँ चुप न रहो कुछ तो कहो
आशिक,गुलफ़ाम,आवारा कुछ तो कहो
चुप्पियाँ भी कई बार गुनाह कर गुजरती हैं
किसी की जान जा रही है कुछ तो कहो
नाशाद क्यों हो,तुम पे जँचता नहीं,शाद हो जाओ
अच्छा चलो ,लब तो खोलो, कुछ तो कहो
ये तुम्हारी खामोशियाँ अब सही नहीं जाती
ताने दो,गालियाँ दो,बद्दुआ दो, कुछ तो कहो
तुमनें मुझे बताया नहीं क्या करती हो
प्यार करती हो, नफ़रत करती हो, कुछ तो कहो
कोई चाहत नहीं तुमसे , चलो ये वादा है सनम
‘पवन’ की ख्वाहिश इतनी सी कि लब खोलो कुछ तो कहो