जुबां कुछ ना कहे तो बेहतर
जुबां कुछ ना कहे तो बेहतर
जुबां कुछ ना कहे तो बेहतर,
बोलते बोलते थक सा गया हूँ
किससे बोलें क्या बोलें
लोग बहरे हो गये या
उकता गये है
सच्ची मुहब्बत से ।
एक बार कहते कि
मत करो मुहब्बत,
तो क्या मै समझता नही
क्यो चाहते है लोग सच्चा प्यार,
जब निभा नही सकते
समझ नही सकते
ठीक है तुम्हारी गलती नही है
तुमने कहा भी तो नही था मुझे चाहो,
मेरे लिये लड़ो
मेरे लिये तड़पो
मगर अब मालूम हो गया है
दिल की बढी धड़कने बता रही है
हाँ गलत हूँ मै
हालात बहुत बदतर है
जुबां कुछ ना कहे बेहतर है
मुझे पहली बार ये अहसास हुआ
झूठ जरूरी है मुहब्बत के लिये
मै झूठ बोलता तो क्या बुरा था
मगर क्या करें हमसे
झूठे रिश्ते नही निभाए जाते
मगर अब और नही !
नही झुकूंंगा किसी के कदमों में
ना समझूंंगा जज्बात क्योकि
वही खुश है जमाने में
नही आऊंंगा पलटकर कभी
नही कहूंंगा मजबूरियां अपनी
क्या हुआ जो बुरा हूँ मै
कौन अच्छा है यहां
मै क्यों परेशान रहूं
ग़मो का दिल में एक लश्कर है
जुबां कुछ ना कहे तो बेहतर है
जुबां कुछ ना कहे
तो बेहतर है
जुबां कुछ ना...