तुम करती हो प्रेरित
तुम करती हो प्रेरित
लिखता हूँ जब
मैं अक्षर मेरे प्रेम के
तेरी सुकोमल काया पर
आहो और कराहों
का दौर ले जाता है
मुझे उम्र के पहले
पहले पड़ाव पर
तुम करती हो प्रेरित
पार ले जाने को
इस जहाँ से बहुत दूर
रक्त का प्रवाह अपने
चरम पर और सुकोमल
काया पर लिखता
चला जाता हूँ मैं
सियाही जब कलम की
उतर आती है
तेरी काया पर
उन अक्षरो को पढ़ कर
सुनाता हूँ तुम्हे मैं
तुम्ही पर लिखी
एक नयी प्रेम कविता