नज़र आता है
नज़र आता है
यह किसका असर है जो लफ़्ज़ों में नज़र आता है
दिल की बेचैनी का अक्स अश्क़ों में नज़र आता है
बारिश को बाहों में भरकर भी जो प्यासा रहता है
बेसब्र सा वो अब्र तुम्हारी ज़ुल्फ़ों में नज़र आता है
कभी पल में गुज़र जाता है, कभी गुज़रता ही नहीं
वक़्त का यह हसीं सितम किश्तों में नज़र आता है
तक़्दीर का एक तूफ़ान, सब कुछ तबाह कर गया
दिल का दरख़्त उजड़ा कई हिस्सों में नज़र आता है
जिन रिश्तों की बुनियाद, यक़ीन पर टिकी होती हैं
अपनेपन का एहसास उन रिश्तों में नज़र आता है
ये दुनियावाले हैं, दुनियादारी की ही बातें करेंगे
रूह का साया भी इन्हें तो जिस्मों में नज़र आता है
शायर की डायरी में, छुपे हैं कई अनछुए से जज़्बात
बंजर दिल का मंज़र उसकी नज़्मों में नज़र आता है।