करार रखिये
करार रखिये
मुहब्बतें बेशुमार रखिये
ये दिल ओ जाँ बेक़रार रखिये।
कमाल रखिये ज़बाँ पे अपनी
गुलाब रखिये या ख़ार रखिये।
तिलिस्म हैं आपकी निगाहें
तो साथ क्यों अब कटार रखिये।
लबों पे हो आपके तबस्सुम
भले ही अब ग़म हज़ार रखिये।
फ़ज़ाएँ हो जाएं अब नशीली
नज़र में ऐसा ख़ुमार रखिये।