अभेद्य
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दुःख का हर क़तरा
बीन-बीन कर
अपनी बेचारगी और बेबसी के जोड़ से
तुमने चुन दी हैं दीवारें
और लीपते रहे हो उन पर
गुज़रे, बीते, अपेक्षित, आशंकित
सभी दुखों का लेप
तह दर तह!
और मैं
तर्कों और सहानुभूति की छैनी से
उसे बींधने की कोशिश में
अंतत: खुद ही
बहस और कटाक्षों की दीवार में
चुन दी गयी हूँ!