कविता
कविता
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मैं सोचता हूँ
क्या है कविता ?
भर कर जो मन में
घर कर जाऐ
सोच जगाऐ
भाव उठाऐ
कल्पना के घोड़े पर सवार
यथार्थ की लगाम थामे
विचारों के रास्ते पर चलती जाऐ
कभी मुदित तो कभी रुलाकर
भावनाओं को जगाकर
शांत हो जाऐ
वो
कवि की कविता बन जाऐ !