दुर्गा माँ
दुर्गा माँ
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सिंह चढ़ के आई दुर्गा गीत मंगल बज रहा
घर गली चौराहों पर माँ रूप तेरा सज रहा।
शांत कोमल रूप माँ का शांति देकर जाएगा
सारे ब्रह्मांडो में माँ सम तू न कोई पायेगा।
अस्त्रों शस्त्रों से सजी माँ का ये मुख पंकज रहा।
सिंह चढ़ के आई....।
हे जगतजननी माँ जगदम्बे जगत को तार दे
पापियों से हीन हमको इक नया संसार दे।
नारी नें जब रूप दुर्गा का धरा अचरज रह
सिंह चढ़ के आई ....।
नौ दिनों तक प्यार माँ का ये ज़हाँ बस पाएगा
माँ शरण देगी उसे जो चरणों में जाएगा।
बाद तेरे मंडपों में बस चरण का रज रहा
सिंह चढ़ के आई...।