दिल के करीब
दिल के करीब
कोई दूर का ,
देर से बिछडा मिल गया
जो दिल के बहुत करीब सा है
आज मिल कर फिर से
आँखें नम कर गया वो
कितना अजीब सा है
समेट के ले गया
अपने साथ
मेरी मुस्कराहट भी
कितना गरीब सा है
आज लौटा भी तो खाली हाथ,
क्यों फिर भी मेरे लिये रकीब सा है