सूरज की किरण
सूरज की किरण
मैं एक सूरज की किरण की तरह उगता हूँ
अपनी किरणों से सब को उठा के ले चलता हूँ
सुबह की रोशनी मेरी,
सब के मन भा लेती है
मैं सब को अपनी मंज़िल की ओर ले चलता हूँ
मैं कहीं पर ठण्डी बर्फ से
आसमान को चमकाता हूँ
तो कहीं पर अपनी तीसरी आँख से
आग बरसाता हूँ
पर अंत में अपनी रोशनी से
सब को अपने साथ लिए चलता हूँ
मेरी किरण सब की गवाह है
रामायण के युग से ले कर
चिड़ियों के बच्चो की चूं - चूं आहट तक
शिशु की किलकारी से ले कर
किसी के दर्द के एहसास तक
मैं एक सूरज की किरण की तरह उगता हूँ
अपनी किरणों से सब को उठा के ले चलता हूँ...।।