जानलेवा ख़ुमार
जानलेवा ख़ुमार
सुहानी रात उतरी है आज मेरे आँगन
एक चंद्रमा चुना है पूरा का पूरा
उसके आसमान से।
किरणें बाँध ली रुपहली मैंने
मेहंदी लगे पाँव में
शोर मचाती चाँदनी की छाँव में
नग्में गुनगुनाती गुज़री हूँ गाँव में।
प्यार के इस मौसम को
घूंट घूंट पीना है
जुगनुओं का मेला है
तारों की बारात है
झील के कँवल में
मेरे रुख़सार सी बात है।
पलकों की नाव पर
सपना सजीला है
ख़्वाब का एक दरिया है
दिल की उमंगो में,
लब पर कुछ ठहरा है।
मेरे इज़हार सा
देखी है जब से तेरी
आँखें ये मीना है
नींदों में ख़्वाबों में
अँखियन की चाहों में।
झूमती है आरज़ू निगाहें
तेरी राहों में
इश्क का है जादू
या महबूब का नगीना है
जो भी है जानलेवा दिल में ख़ुमार है।