मेरा और तुम्हारा गणित
मेरा और तुम्हारा गणित
सम्बंधों की परिधि नापती
तुम बन गए सम्पूर्ण वृत्त
खूब सिखाया मुझे भी गणित सम्बंधों का
चाहा पाइथागोरस बनाना
मरने के बाद उसकी तरह
मेरे विचार जाने समझें जाएं
मैंने नही चाहा
मरने के बाद कुछ हो न हो
जो चाहा इसी ज़िंदगी में
फिर तुमने चाहा वृत्त बनाना
अपनी तरह
पर वो भी न हो सका मुझसे
ना समानांतर तुम्हारे
ना उस वृत्त के भीतर
बन कर एक नया वृत्त
तार्किक प्रश्नों की तरह
बहुत तर्कों को सुलझाया है मैंने
वृत्त बनी हूँ त्रिभुज भी
आयत वर्ग पर व्यर्थ सब
ना तुम्हे चुनौती देते न समानांतर
कहीं कोई रेखा नही खींची मैंने
न तुम्हे आधा किया न आधार बनी
न कोण 90 डिग्री का
जब तक तुम घूम रहे थे गोल गोल
मैं चुपके से आ बैठी
अंक में तुम्हारे बन के बिंदु
कुछ कहते हैं केंद्र हो गई तुम्हारी
गणित कहता है अब मुझसे ही होगी
तुम्हारे त्रिज़्या और व्यास की उत्पत्ति
पर सच तुम्हे भी पता है
नही सीख पायी
सम्बन्धों का एक बून्द भी गणित
केंद्र में होकर भी तुम्हारे
बस ये बिंदु ही रहने देना मुझे
पूर्ण हूँ बिंदु बनकर तुम्हारी...