चल अब लौट चले
चल अब लौट चले
चल अब लौट चलें
इस धूल धुंधली दुनिया से
कहीं खुले आसमान के नीचे
जहाँ धरती आसमान एक हो
ना हो दुनिया के शोर
चल अब लौट चलें...।
जहाँ सूरज चांद की रोशनी हो
अंधेरे में सितारों
ये तन्हाई के ज़िंदगी ना हो
सुकून हो बहुत सारे
चल अब लौट चलें...।
खुले गगन के पंछी की तरह
सारे आसमान एक कर दें
ना हो कोई रोकने वाले
चल अब लौट चलें
चल अब लौट चलें...।