हर तरफ है रावण रावण
हर तरफ है रावण रावण
हर तरफ है रावण रावण, और शूर्पणखा डोल रही है,
जानते है सब, कोई नहीं अब राम यहाँ,
काल हर तरफ अपना मुँह खोल रही है,
महाभारत में घुसा है कोई राम बनकर,
और कहीं सीता भी कैकयी बनकर डोल रही है,
हर तरफ है रावण रावण, और शूर्पणखा डोल रही है,
चल रही हर तरफ रास लीला बनकर रामलीला,
आँखों में सबकी मर्यादा वस्त्र पहनकर डोल रही है,
न जाने अब इन सब ग्रंथों का क्या होगा,
तन की आग बुझाने भूख भी भूखी डोल रही है,
हर तरफ है रावण रावण, और शूर्पणखा डोल रही है,
पढ़ पढ़कर सब बेकार हुआ है जीवन में,
सरस्वती माता रद्दी के अब मोल हुई है,
बेच रहे हैं अपने अपनों को लगा कर बोली,
अब इस दुनिया में झूठ फ़रेब की ही सवेर रही है,
हर तरफ है रावण रावण, और शूर्पणखा डोल रही है,