(मुज़फ़्फ़रपुर बालिका गृह )
(मुज़फ़्फ़रपुर बालिका गृह )
हालात-ए-मुल्क ऐसी हो जाएगी,
कभी सोचा न था ।
दरिंदगी इतनी बढ़ जाएगी,
कभी सोचा न था ।
हवस में लोग इस कदर अंधे हो जाएंगे,
छोटी बच्ची पहचानी न जाएगी,
कभी सोचा न था ।
बालिका गृह में भी बेटियाँ महफूज़ नहीं,
ऐसी जगह इज्ज़त लूटी जाएगी,
कभी सोचा न था ।
ऐ खुदा ! जमीं को जमींदोज़ कर दे
रूह मेरी इतनी कांप जाएगी,
कभी सोचा न था ।