वो शहर ज़िंदगी भर
वो शहर ज़िंदगी भर
वह शहर ज़िंदगी भर नज़र में रहा
आशिकी उम्र भर फिर जिगर में रहा
फूल खिलने लगे जब चमन में कहीं
तेरी खुशबू सनम हर पहर में रहा
ज़ुल्फ ने तेरे साया भी मुझको दिया
धूप की आज गर्मी डगर में रहा
प्यास दिल बढ़ गई जब मिलन ना हुआ
दिल भी प्यासा तेरे बिन सफ़र में रहा
उलझनें बढ़ गयीं फिर कयामत यक़ीन
मेरी चाहत वफा हर नगर में रहा
मुस्कुराता था मैं साथ हर पल तेरे
दिल पर दिलका नशा भी असर में रहा
वक्त भुला नहीं दिल भी मंज़र कभी
यादें दिल में मेरे कुछ इधर में रहा।।