पानी की तरह
पानी की तरह
जिंदगी में जीतना है अगर तो,
पानी की तरह तुम भी रहों।
रास्ते मिले नहीं कभी तो,
सदा अपने रास्ते बनाकर बहों।
रास्ता मिल जाए खुद ही तो,
सरलता और शांति से बहों।
और रास्ते में पत्थर मिले तो,
पत्थर को भी काटकर बहों।
आचरण अच्छा सामने वाले का,
तो मधुर मधुर झरने की तरह बहों।
पर जो छेड़े कोई नाम तुम्हारा तो,
तूफान जैसे अपनी बातें कहों।
रुक गया जो बहता पानी तो,
सोचो बदबू कितनी आएगी।
फिर किसी के भी मन को,
वह पानी आखिर क्यों भाएगी ?
इसलिए बहते रहों पानी के जैसे,
जहां हरियाली ही छातीं है।
मिला नहीं पानी अगर तो,
धरती भी बंजर बन जाती हैं।
ना रंग है और ना रूप है,
फिर भी सब का हिस्सा है
पानी नहीं तो हम भी नहीं,
सोचो यह कैसा गजब किस्सा है।