रैना बीती फूल खिले
रैना बीती फूल खिले
आया प्रभात,फैल चुका है चहुँ ओर उजियारा
रैना बीती मिट चला है अब तो दुख रूपी अंधियारा
फूल खिले है डाली डाली, तालाब में कमल मुस्काए
रुनझुन रुनझुन बहे हवा, पंछी सुर में गाएँ
कल कल करती गीत सुनाती , बहती नदियों की धारा
रैना बीती मिट चला है अब तो दुख रूपी अंधियारा
रात की निद्रा त्यागकर ,नई सुबह फिर आई
बांट रहा किरने सबको, सूरज सबका भाई
दुख के द्वार को पार करके , सुख पनपा दोबारा
रैना बीती मिट चला है अब तो दुख रूपी अंधियारा