ख़तरनाक इश्क़
ख़तरनाक इश्क़
यार था मेरा पहलवान वो कंजर निकला
कर्ज़ वापस लिया माँग तो मुग्दर निकला।
मैंने जिस आँख में झाँका वही भैंगी निकली
चूमना चाहा तो बदबू का बवंडर निकला।
इश्क़ के किस्से जिसे अपने सुनाए मैंने,
फूटी किस्मत वही माशूक़ का शौहर निकला।
दिलरुबा का है कोई भाई पता था न मुझे
ज़ोर भी उसका मेरी सोच से बढ़कर निकला।
जब ख़बर प्रेम कहानी की हुई बीवी को
फिर तमाशा मेरा ऐन सड़क पर निकला।