कौवे ने कोयल से पूछा
कौवे ने कोयल से पूछा
कौवे ने कोयल से पूछा, हम दोनों तन के काले हैं
फिर जग तुझ पर क्यों मरता है, मुझसे नफ़रत क्यों करता है
कोयल बोली - सुन ए कौवे, बेहद शोर मचाता है तू
अपनी बेसुर कांव - कांव से कान सभी के खाता है तू
मैं मीठे सुर में गाती हूँ, हर इक का मन बहलाती हूँ
इसीलिये जग को भाती हूँ, जग वालों का यश पाती हूँ
शेर हिरण से बोला - प्यारे, हम दोनों वन में रहते हैं
फिर जग तुझ पर क्यों मरता है, मुझसे नफरत क्यों करता है
मृग बोला - ए वन के राजा, तू दहशत को फैलाता है
जो तेरे आगे आता है, तू झट उसको खा जाता है
मस्त कुलाँचें मैं भरता हूँ, बच्चों को भी बहलाता हूँ
इसीलिये जग को भाता हूँ, जग वालों का यश पाता हूँ
चूहे ने कुत्ते से पूछा, हम इक घर में ही रहते हैं
फिर जग तुझ पर क्यों मरता है, मुझसे नफ़रत क्यों करता है
कुत्ता बोला - सुन रे चूहे, तुझमें सद्व्यवहार नहीं है
हर इक चीज़ कुतरता है तू, तुझमें शिष्टाचार नहीं है
मैं घर का पहरा देता हूँ, चोरों से लोहा लेता हूँ
इसीलिए जग को भाता हूँ, जग वालों का यश पाता हूँ
मच्छर बोला परवाने से, हम दोनों भाई जैसे हैं
फिर जग तुझ पर क्यों मरता है, मुझसे नफ़रत क्यों करता है
परवान बोला मच्छर से - तू क्या जाने त्याग की बातें
रातों में तू सोये हुओं पर करता है छिप - छिप कर घातें
मैं बलिदान किया करता हूँ, जीवन यूँ ही जिया करता हूँ
इसीलिये जग को भाता हूँ, जग वालों का यश पाता हूँ
मगरमच्छ बोला सीपी से - हम दोनों सागर वासी हैं
फिर जग तुझ पर क्यों मरता है, मुझसे नफ़रत क्यों करता है
सीपी बोली - जल के राजा, तुझमें कोई शर्म नहीं है
हर इक जीव निगलता है तू, तेरा कोई धर्म नहीं है
मैं जग को मोती देती हूँ, बदले में कब कुछ लेती हूँ
इसीलिये जग को भाती हूँ, जग वालों का यश पाती हूँ
आँधी ने पुरवा से पूछा - हम दोनों बहनें जैसी हैं
फिर जग तुझ पर क्यों मरता है, मुझसे नफ़रत क्यों करता है
पुरवा बोली - सुन री आँधी, तू गुस्से में ही रहती है
कैसे हो नुकसान सभी का तू, इस मंशा में बहती है
मैं मर्यादा में रहती हूँ, हर इक को सुख पहुँचाती हूँ
इसीलिये जग को भाती हूँ, जग वालों का यश पाती हूँ
काँटे ने इक फूल से पूछा - हम इक डाली के वासी हैं
फिर जग तुझ पर क्यों मरता है, मुझसे नफ़रत क्यों करता है
फूल बड़ी नरमी से बोला - तू नाहक ही इतराता है
खूब कसक पैदा करता है, जिसको भी तू चुभ जाता है
मैं हँसता हूँ, मुस्काता हूँ, गंध सभी में बिखराता हूँ
इसीलिये जग को भाता हूँ, जग वालों का यश पाता हूँ।