सलाम ज़िंदगी!
सलाम ज़िंदगी!
पन्हा देखी थी हमने जहाँ दुनिया के मतलब से,
रोए थे हम उस दिन,
जब अपनो ने भी हमारी चाहत को बदनाम कर दिया!
हुआ नहीं था यकीन की,
उम्र वाले भी रखेंगे सोच ऐसी,
जान के सच,
नज़रों ने बनाई यादों को तलाक़ कर दिया!
दे दिया नाम उन्होने हमारी चाहत को, जो मतलब का,
सीख मिली एक और,
हँस के ज़िंदगी को हमने फिर से सलाम कर दिया!!