बेटी
बेटी
तेरी आँखों का तारा हूँ मैं तेरे घर की रौशनी हूँ मैं
आयी थी बनकर एक छोटी सी परी तेरे आंगन में
चलना फिरना हँसना बोलना सब कुछ सिखाया तुमने
तू ही बन गयी मेरी सबसे पहली गुरु मेरी माँ
जाने कब मैं देखते ही देखते बड़ी हो गयी हूँ
फिर भी रही नन्ही मुन्नी गुड़िया मैं तेरी नज़रों में
मेरा हर दर्द देखकर तू भी दुखी हुई
मेरी हर खुशी में थी तेरी भी खुशी
कहने को तो बेटियाँ परायी होती है
फिर भी माँ बाप का हर पल साथ निभाती है
जाने फिर क्यों लोग बेटियों से ज्यादा बेटों से प्यार करते है
फिर भी हर बेटी को अपने बेटी होने पर गर्व होता है सदा।