'शराब'
'शराब'
क्या तुम शराब पीती हो,
सच में ना, मैं गुस्सा नहीं हूं
मगर बड़ा अजीब है ये कि
मैंने कभी समंदर को
समंदर पीते नहीं देखा।
कभी नहीं देखा कि
सूरज झुलस गया हो,
कोई नदी बह गई हो
खुद ही के पानी में,
कोई पहाड़ दब गया हो
किसी कंकर के तले,
या खुदा खुद खड़ा हो
खुदा के आगे इबादत में
सच कहूँ तो जब भी तुम्हें
चूमकर आता हूँ मैं
तब अक्सर लोग पूछते है मुझे
क्या तुम शराब पीते हो ? सच में।