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Debashis Bhattacharya

Others

5.0  

Debashis Bhattacharya

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नारी शक्ति

नारी शक्ति

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तुम्हारी सूरत जब जब देखूँ

माँ की याद क्यों न करूँ

छोटा सा नाम प्यार से भरपूर

जगाती शक्ति, होता डर दूर

         रमणी की रूप के अन्दर

         माँ की ममता

         प्रेम और क्षमा की

         बहती नदी सदा

बड़े होकर जब भूलने लगते

याद अपनी माँ की

होती पतन देश और समाज की

शर्म भारतमाता की  

         छोटी सी माँ की आशा थी

         बनेगी बड़ी काम की

         संसार का बोझ होगा कम

         नौकरी करेगी जब

छोटा एक संसार होगा

बनेगी कभी माँ

गोद में शिशु हँसता-खेलता

स्वर्ग से भी प्यारा 

तभी मनुष्यरूप लेते भगवान

राम-कृष्णा-बुद्ध-जीसस

और पय्गोम्बर बनकर

नानक,चैतन्य और विवेकानंद जैसे 

संतान माँ का गर्व

वही संतान श्रेष्ट बनती

नारी की भावना दिल में रखते

माँ सबसे ऊपर 

मन की अंदर भरी दर्द

         फिर भी मुस्कुराती

सहती रहती सभी पीड़ा

वही नारी की महिमा

माँ की दर्द बच्चा न जाने

रहते अनजाने

समझती उनका भाषा माँ  

जगती रहती सदा

छोटी सी माँ की थी विश्वास

सच्ची उनकी दिल

भाई-पिता-संतान जैसे     

         होते पुरुष वैसे

एक बार भी नहीं सोचा

करेगी इनमे से कोई उनकी   

नाश सातित्य की

केशाघात की पीड़ा

सहती रहती सीता

पांचाली की बस्त्रहरण

पुरुष ने ही तो किया

विश्वास था सभी पुरुष

अच्छे मानव जन

बस के अंदर बैठे जो लोग

होंगे अपन जन

अपनापन का योग्य जबाब दिया उन लोग

अंदर कुपुरुष,मुखोटा पुरुष का

मिलकर सभी किया क्लेश बलात्कार

स्वरुप पिशाच का छीना नारी की लाज

एकबार भी नही सोचा वही मेरी माँ

दर्द और पीड़ा देकर ली उनकी जान

काम-वासना पूरे किए, दफनाया नारी की शान

खून से लिपटी शरीर को फेंका

झाड़ी के अंदर

जीवन-यौवन समाप्त हुआ

कली बागीचा से  चली

आशा कुछ भी पूरा ना हुआ

अधुरा रह गया

संतान को प्यार देगी

बनकर उनकी माँ

संतानों ने लिया इज्जत

बदनसीब उनके माँ  

         पशु-पक्षियाँ, कुत्ते-बिल्लियाँ

         रोते नजर टिकाये

         प्रश्न किया विधाताको

         श्रेष्ट किसे कहते

माँ नाम की शक्ति कितनी

लम्पट न जाने

साधू-ऋषि वही नाम लेकर

उद्धार हो जाते

         तन-मन-प्राण होते बलवान

         माँ की सोच जब आती

         दुस्प्रबितियाँ दूर हो जाती 

         हृद्य में कमल खिलती  

होंगे भारत श्रेष्ट महान

जब निर्मल चरित्र होगी

त्याग और संयम के साथ

बढेगा भारत आगे

पुकारूँगा केबल माँ माँ कहकर

बल देगी माँ 

 


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