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यादे बचपन की

यादे बचपन की

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जीवन के सफर में जाने कितने मंजर आते है गुजर जाते है

कुछ यादे रह जाती है जो दिल मे बस जाती है

बचपन की यादों का मंजर अक़्सर आंखों के सामने आ जाता है

वो उंगली पकड़ कर माँ बाप का हमको चलना सीखना

वो घुमाने ले जाना मेला सिनेमा दिखाना

वो स्कूल छोड़ने और लेने आना

वो मीठी मीठी यादे बचपन की

वो अपनी हर ज़िद मनवाना माँ बाप से

वो देर तक सोना वो रोना वो हँसना वो कागज़ की नाव

वो बचपन के दोस्त सब याद आ जाते है

माना कि गांव में जन्म हुआ मेरा

जीवन बीता है एक बड़े शहर में

बहुत ही कम गए होंगे गांव में

जब नाना नानी रहते थे गांव में

कुछ दिनों की यादे वो प्यारी प्यारी

आज भी जहन में

वो गांव की कच्ची सड़के कच्चे मकान

हुआ करते थे

पर वो सब है यादे अब तो

अब तो गांव भी शहरों जैसे हो गए है

ना ही कोई कच्ची सड़क ना ही कच्चे

मकान

शहरों से बड़े है मकान वहां रहते सब मिल

जुलकर है

हर सुख हर सुविधा मौजूद मेरे प्यारे गांव में


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