Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Ghanshyam Sharma

Abstract Inspirational

4.8  

Ghanshyam Sharma

Abstract Inspirational

मैं अब सूरज बन गया हूँ

मैं अब सूरज बन गया हूँ

1 min
808


मैं जला हूंँ,

मैं जला हूंँ,

मैं बस जला हूँ।


मैं इतना जला हूंँ,

इतना कि

मैं अब तैयार हूंँ,

अंधेरा मिटाने को,

नया सवेरा लाने को,

मैं अब सूरज बन गया हूँ।


आत्ममंथन-आत्ममंथन-आत्ममंथन,

मैंने इतना किया है आत्ममंथन,

इतना कि

मैं अब अमर हूंँ,

मंथन से मैंने

अमृत जो पा लिया है।


अश्रुस्नान-अश्रुस्नान-अश्रुस्नान,

मैंने इतना किया है अश्रु स्नान,

इतना कि

मैं सदा के लिए निर्मल हो गया हूँ,

कि मैं अब कभी भी मलिन न हो पाऊंगा।


मैं इतना जला हूंँ,

इतना कि

मैं अब तैयार हूंँ,

अंधेरा मिटाने को,

नया सवेरा लाने को,

मैं अब सूरज बन गया हूँ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract