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भगवान नहीं हो

भगवान नहीं हो

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किस्मत का फैसला तुम नहीं कर सकते

लकीरें सबकी अलग-अलग हैं

सबका पेट बडा़-छोटा है

सबका आहार एक सा नहीं है

सबकी शक्लें जुदा-जुदा हैं

तुम कौन हो मदारी

सर से पैर तक

रंगमंच के समाप्ति तक

बस यही वजूद है तुम्हारा

भगवान नहीं एक बहरुपिया हो तुम

खेल का समय निर्धारित है

तारीख भी तय है

खू़न जमने तक पाँव छपका लो

जिस दिन थक्का जमेगा

हिल न नहीं पाओगे

सारा जादू टूटकर बिखर जायेगा

जमूरे भाग जायेंगे

तम्बू उखड़ जायेगा

मेला बैलगाड़ी पर लद जायेगा

धरती पर फिर कोई बंजर न मिलेगा

जहाँ तुम मेला लगा सको

हम तुम्हारे पहुँच तक

सब कुछ बदल देंगे

चारों ओर हरियाली होगी

तबतक हम नहीं सोयेंगे

जबतक तुम्हें सुला न दें

थका न दें तुम्हें

जमा न दें तुम्हें

भगवान नहीं हो तुम

अंत की देखो

पूरब से सवारी आ रही है।


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