आओ भगत !
आओ भगत !
भगत सिंह ने पूछा मुझसे,
कैसा है मेरे आज का हिंदुस्तान ?
"आओ भगत !
तुमको आज़ाद हिंदुस्तान दिखता हूँ
बड़े - बड़े पत्थर तोड़ते,
नन्हे - नन्हे हाथ दिखाता हूँ
अपनों के पत्थर खाते,
लाचार सैनिक दिखता हूँ
आओ भगत !
तुमको आज़ाद हिंदुस्तान दिखता हूँ...।
वतन पे मिटने वाले चंदशेखर,
यहाँँ आतंकी कहलाते हैं
चंद नेता खूनी हत्यारों को
अपना आका बतलाते हैं
झूठी आज़ादी की माँग में
मातृभूमि को गाली दे जाते हैं
गद्दारो की हर हरकत
हम कायर बन सह जाते हैं...।
जिसकी आज़ादी को तुम
हँसते - हँसते चढ़ गए फाँँसी
वो कायर दिल्ली दरबार दिखाता हूँ
आओ भगत !
तुमको टुकड़ों में बंटा
हिन्दुस्तान दिखाता हूँ...।"