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Gautam Govind

Romance

3.6  

Gautam Govind

Romance

तेरे बिना...

तेरे बिना...

2 mins
287


तेरे बिना मन, कहाँ 

लगता मेरा,

बस जी बहला रहा हूँ

तेरे साथ बिताये

उन पलों को याद करके।

खोया रहता हूँ तेरी

यादों में अक्सर,

होश तो आता है

तेरी गर्म सांसों

को याद करके।

तेरा ही नाम रहता है जुबां पे

अब भी,

पर मौन हूँ तेरी जज्बातों को

याद करके।

अब तो कह कहे लगाना भी

छोड़ दिया मैनें,

कभी हँस लेता हूँ तेरी बातों

को याद करके।

एक तूफान सा उठता है

अब भी मेरे दिल में,

पर खामोश हूँ,

तेरे जीवन के उन जलजले

को याद करके।

एक ही शब्द गूँजता है

मेरे कानों में अब तक,

पर निःशब्द हो जाता हूँ

तेरे नामों को याद करके।

पीने का कहाँ शौक

था मुझ को,

बस पीये जा रहा हूँ

अपनों के दिए कुछ गमों

को याद करके।

बताने को जी तो नहीं

करता कुछ भी,

पर बोल लेता हूँ,

तेरी थरथराते होंठों को

याद करके।

कहने को बहुत कुछ है,

तुझ से अभी बाँकी,

पर चुप हो जाता हूँ

तेरे आँखों से गिरते

आँसू के धारों

को याद करके।

जीवन में मेरे

अंधेरे ही अंधेरे है,

पर तू देख मैं जी रहा हूँ

तुझ से किये उन वादों

को याद करके।


दिल में एक टीस

उठती है और

आँखें भर आती है,

क्या बताये तुम को,

तेरे ज्जबातों

को याद करके।

जी तो चाहता है कि

बाहों में भर लूँ तुझे,

पर डर जाता हूँ मैं

जमाने के लगे इल्जामों

को याद करके।

मत होना कभी ज़िन्दगी

में उदास तुम,

खुश रहना मेरे कहे

चन्द शेरों

को याद करके।

ना करना कभी

फ़िक्र मेरा,

बस याद कर लेना,

कट ही जाएगा ये

सफर एक दूसरे

को याद करके।

                             


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