राही
राही
जरा चूम लेते उस टोच को,
जहा पहुँचने के लिए
तूने कितनी रातें बिगाड़ी है,
ज़िन्दगी के तौर तरीकों को मोड़ कर,
तूने कितनी मेहनत जताई है।
जरा चूम लेते उस टोच को,
कई खुशियों को अनदेखा करकर,
तूने कई लोगो को छोड़ा है,
जिंदगी के हर एक पड़ाव पे
अकेले का साथ जोड़ा है।
जरा चूम लेते उस टोच को,
अपने उन ख्वाबों के लिए कई कई बार
परिवार को भी तर छोड़ा है,
कुछ बार अपने उन गुस्से वाले
अंदाज से कई सबंधी को भी छोड़ा है।
जरा चूम लेते उस टोच को,
मदिरा की अनुपस्थिति में,
कई रातें तूने अपनी आंखों को सताया है,
जरा चूम लेते उस टोच को,
दुनिया की उस रोक टोक को तूने,
पलकों में हँसकर नजरअंदाज किया है।
जरा चूम लेते उस टोच को,
वाह वाह का राही बनता और
कुछ उन लोगों के लिए एक रास्ता !
जरा पहचान अपने आप को,
थाम ले उस टोच को जिसको
चूमते हुए तू एक कदम रह गया !