इश्क की हवा
इश्क की हवा
आंखों में कजरा है बालों में गजरा है,
और हाथों में चूड़ियों की झंकार है।
जो मॉडर्न लड़की थी कभी,
अब उसे सादगी से प्यार है।
कानों में झुमके और गुलाबी होठ
मानो झुके निगाहों से बेहद भा रही है।
जो कभी जींस टॉप पहनकर चलती थी,
वो आज सलवार सूट में जा रही है।
माथे पर बिंदी और हाथों में चूड़ियाँ,
पैरों में छनकती चलतीं पायल है।
चाल मतवाली जिसका क्या कहना,
हिरनी जैसी जो करें सबको घायल है।
सोच रहे हैं लोग आखिर बदलाव कैसा है!
मॉडर्न रूप क्यों देशी बनने को तैयार है ?
ये तो आशिकों की बात आशिक ही जाने कि,
उसे भी हुआ किसी से प्यार है।
वो तो प्यार के रंग में ढल रही है,
खुद को किसी के ढंग में बदल रही है।
अरे, इसमें कसूर नहीं है उसका,
उसकी गलियों में इश्क की हवा चल रही है।