अमूल्य वृक्ष
अमूल्य वृक्ष
कजरारे दृग कच घने अधर बिंब सम लाल।
अलकावलि कुंचित सघन,
मधुरिम बोल रसाल।।1।।
कहि गए आऐंगे पिया,
किंतु न भेंटे आज।
दिन दिन यौवन ढल रहा
डूबे आस जहाज़।।2।।
तन सूखा मन बेरुखा
गये पिया परदेस।
तुम्हें बुलाऐ आंगना
अब तो अस्थि ही शेष।।3।।
गिन गिन कटते री दिवस,
करवट लेती रात।
कहो सखी मैं किस तरहाँ,
करूँ हिये की बात।।4।।
तुमसे कंगन पैंजनी,
तुमसे अरुणिम मांग।
ध्वनि रोचकता नहीं,
झूठे तुम बिन स्वांग।।5।।