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Shweta Chaturvedi

Romance

5.0  

Shweta Chaturvedi

Romance

निर्वाण

निर्वाण

1 min
321


तुम्हें प्राप्त करना, मेरे लिये

बहते जल को मुट्ठी में बाँधने जैसा है

फिर भी तो 

हथेली में ओक करें

उसे प्रेमपात्र बना

भरे बैठे हूँ सारी अभिलाशायें


मैं निरंतर प्रयत्न करती हूँ,

कि एक बूँद भी छलकने न पाये

पर देखो न समय का प्रहार

यादों के तपते रेगिस्तान में

जैसे एकदम अकेले

भटकी हुई रह गयी


यक़ीन करो

जब जल कर भस्म हो रही होगी

तब ओक से रिसती

और आग से तपती

तुम्हारे प्रेम की कुछ बूंदें बचा लूँगी

और चूम कर उन्हें

स्वयं ही अपने मस्तक पर लगा लूँगी


शायद यही होगा तुम्हारे

कुछ क्षण में किये

जन्म जन्मांतर वाले प्रेम का सम्मान

और शायद यही होगा

मेरी तपस्या से निर्वाण।


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