तेरे इन्तेज़ार में ...
तेरे इन्तेज़ार में ...
तेरे इन्तेज़ार में यूँही मैं कब तक मरूँगा
कभी तो मैं भी जीना शुरू करूँगा.....|
तेरा ही आशिक़ हूँ तुझे क्यों समझ नहीं आता
हथेली पर दिल लेकर कहाँ तक तेरा पीछा करूँगा...|
थक गया मैं दस्तकें देकर तेरे दिल के दरवाज़े पर
तेरी चौखट पर अब और कितना मैं सजदा करूँगा.......|
जब ठुकरा ही दिया है तुने मेरे इश्क का शरारा
अब किसी सराफ से ही उस शरारे का मैं मोल-भाव करूँगा...........|
तेरे इन्तेज़ार में यूँही मैं कब तक मरूँगा
कभी तो मैं भी जीना शुरू करूँगा.....