ख़ामोशी
ख़ामोशी
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आपने पूछा था हमसे,
मगर हम कुछ कह ना सकें
हमारी तो मजबूरी थी
काश! तुम समझ सकें
हम कुछ बोलना चाहते तो
तुम यूँ ही हंसी में उड़ा देते
न ये पतझड़ होता
ना तुम नया घोसला बनाते
ख़ामोशी बनी मेरी दिल की दुश्मन
जब छीन के नींद तू ले गई
हम कुछ कहने से पहले
तू आँखों से ओझल हो गई!