इस देश में चारों ओर
इस देश में चारों ओर
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थाली तो जबरन छीनी गई
ताल ठोंक कर
अब पेट से छीनने को तैयार हैं
ढ़ाई दिन की हुक़ूमत वाले !
..... इस देश में चारों ओर "
प्रजा का हिस्सा खाकर
पेट सहला रहे हैं नेता
विरोध में प्रजा अनशन कर रही है
....... इस देश में चारों ओर "
अब धार भी अपनी नहीं रही
राणा प्रताप बनना बेकार
एक हौसला है बचा
अत्याचार सहेगी प्रजा जिससे
...... इस दर्श में चारों ओर "
पाक़ साफ़ हूँ तब तक
सरकार के पक्ष में हूँ जब तक
विरोध करने पर
दुनिया के सरे ऐब मुझमे आ जाऐंगे
नहीं पता अन्याय का छोर
इस देश में चारों ओर .."