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रहना है मुझे हर दिलो दिमाग में

रहना है मुझे हर दिलो दिमाग में

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लड़ना है मुझे... रोटी, कपड़ा, मकान और...

कुछ मीठी बातें, चंद सिक्को के लिये!

नियती से कभी दुश्मनो से, तो कभी खुद से...

बस्स...सीधी-साधी सुकून कि जिंदगी के लिये...!


खोना हैं मुझे वह... सब सपने, अपने दिल के रिश्ते...

समाज के झूठे, रीति-रिवाज तकलादू, बड़प्पन के लिये!

वह सबकुछ अरमान ऊँचे गगन मे उड़ान भरने के लिये...

और वह सपना दिन-रात, सोते-जागते मैंने देखा है!


पाना ही है मुझे... वह सब मेरा जरुरी सामान...

बस... नेकी और ईमानदारी से जिंदा रहने के लिये...!

दिल को तसल्ली देनेवाले वो हर काम पुरे करने...

पढना-लिखना, दुनिया मे नेकी का अलख जगाने के लिये !


बस... जिंदा रहना है मुझे... पूरे करने...

कुछ सपने, मेरे अपने... आधे-अधुरे!

कुछ कोशिशें, थोड़ी सी फरमाइशें...

दिल में जो कुछ भी बन पाये ही करना बाकी है!


रहना है मुझे हर दिलो-दिमाग और जहान में...

ढेर सारी खुशियां बन के, प्यार से, अपनेपन से!

बस... घुमना है मुझे... बांटते वह सब खुशबु...

जिस किसी को आज तक नही मिल पायी है!


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