हर हाल जीतेगा आदमी
हर हाल जीतेगा आदमी
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हर हाल जीतेगा आदमी
जिन राहों पर सूना है
उन राहों पर मेरी चहलक़दमी दून है
जहाँ सूरज की रौशनी नमूना है
वहाँ मेरी हाज़िरी बेधड़क अलून है
पृथ्वी छोटी है, पंख बड़े हैं
जो समुद्र के सामने खड़े हैं
हर हाल जीतेगा आदमी