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Sonias Diary

Drama

5.0  

Sonias Diary

Drama

रेल यात्रा

रेल यात्रा

2 mins
301


दिल्ली से अहमदाबाद का सफ़र याद नहीं भूलता

६ मन्थ प्रेगनेंट थी,

अकेले यात्रा कर रही थी अपनी एक छोटी बच्ची साथ।

सीट मुझे ऊपर की बर्थ मिली।


गाड़ी राजधानी और डिब्बा २ ए. सी. का …

वहाँ पति पत्नी दो जन पहले से ही मौजूद थे

बच्ची भी ३ साल की रही होगी उस वक़्त।


मेरी हालत कुछ ज़्यादा अच्छी ना थी

ज़्यादा कुछ बात करने वाले वो पति-पत्नी ना थे।

शायद अपने घमंड में चूर थे

वरना बच्चों को देख कोई भी मुस्क़ा देता।


रात ८ बजे के क़रीब चली ट्रेन

मैंने बहुत रिक्वेस्ट करी उन्हें-

“अंकल मेरी तबियत थोड़ी ठीक नहीं है

बच्चा भी छोटा है,

रात में वॉश्रूम सब जाना पड़ता इसके साथ २-३ बार।


ज़्यादा बार मैं ऊपर चढ़ नहीं पाऊँगी

कृपया क्या आप मुझे नीचे की सीट दे देंगे।”

उन दोनों की ध्वनि एक सी निकली- सॉरी।

और फिर दोनों ने ही मुँह फेर लिया ......


बहुत बुरा लगा उस वक़्त आँखों में आँसू भी थे।

नन्ही जान एक हाथ में एक कोख में।

१२ बजे तक तो मैं नीचे ही बैठी रही

बेटी को ऊपर सुला दिया जैसे तैसे।


फिर सामने बैठे एक अंकल ने

मुझे अपनी साइड वाली नीचे की सीट दी।

मैं बहुत शुक्रगुज़ार थी उनका।

मगर शायद …..


उस रात मेरे पेट पर ज़ोर से किसी का

सूट्केस लग गया था … आते जाते

(साइड बर्थ की सबसे बड़ी दिक्कत होती है।

चाहे सेकंड ए. सी. हो या थर्ड ए. सी.

साइड बर्थ की सीट उतनी ही रहती है ।)


लोग भागते हैं, खरोचते हैं …

दर्दनाक था वो सफ़र ….।।


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