शहीद
शहीद
कुछ गैर जैसे होकर भी,
अपनों का फर्ज़ अदा करते हैं।
वो जवान जो खड़े साहिल पे,
हम उनके लिए दुआ करतें हैं।
मजे करते हैं हम त्योहारों में,
ये सब उनकी बदौलत है।
धन कमा ले हम भले ही,
पर वो कमाते शोहरत हैं।
शहीद होना एक बलिदान है।
ये सब के बस की बात नहीं।
हम तो सो जाए रातों में चैन से,
पर उनके चैन की कोई रात नही।
उड़ते तिरंगे को भाया नहीं उड़ना,
वो शहीद की कफ़न पर जा गिरा।
लहराया जिस मौज़ में वहाँ,
फिर मुड़कर पीछे ना फिरा।
खुद के लिए जीते हैं और,
खुद ही मर जाते हैं।
जो दूसरों के लिए जिए,
दूसरे के लिए ही मर जाते हैं,
असली शहीद कहलाते हैं।