शराब
शराब
टूटे हुए दिल को
बस मयखाने में पनाह मिलती है
यह वो सराय है
जहाँ हर हारे हुए आशिक़ को
जगह मिलती है
शराब तो हर तनहा से
वफा करती है
यह तो वो महबूब है
जो होंठो से लगते ही
हर गम फ़ना करती है
क्यूँ पीते हैं लोग इस कदर
क्या कोई कभी ये सोचता है ?
शायद ये उसके नाकाम इश्क का ही नशा है
जो इक शराबी
शराब में खोजता है...!